गुरुवार 2 अक्तूबर 2025 - 03:56
बेंगलुरु में शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की पहली बरसी पर एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन

हौज़ा/ शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की पहली बरसी पर बेंगलुरु की अस्करी मस्जिद में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जहाँ विद्वानों और आम जनता ने कविताओं और भाषणों के माध्यम से उन्हें और प्रतिरोध के अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की पहली बरसी पर बेंगलुरु की अस्करी मस्जिद में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम इमामिया एसोसिएशन और फैज़ुल इस्लाम संस्थान के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसमें प्रतिरोध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

प्रतिभागियों ने कहा कि सय्यद हसन नसरूल्लाह अपने साहस, वीरता और अद्वितीय भाषण कला के कारण हर धर्म और राष्ट्र में सम्मानित हैं। उन्होंने लेबनान की संप्रभुता की रक्षा करने और हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व करते हुए फ़िलिस्तीन के पक्ष में आवाज़ उठाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि हसन नसरूल्लाह का नेतृत्व और इज़राइल के विरुद्ध उनकी जीत उन्हें अमेरिकी और ज़ायोनी हितों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनाती है। इस अवसर पर प्रतिरोध के अन्य शहीदों को भी याद किया गया, जिनमें वरिष्ठ हिज़्बुल्लाह रणनीतिकार शहीद हाशिम सफीउद्दीन, फ़िलिस्तीनी नेता शहीद इस्माइल हनीया, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध कमांडर शहीद याह्या सिनवार, इराकी पीएमएफ कमांडर शहीद अबू महदी अल-मुहंदिस और ईरान के कुद्स बल के कमांडर शहीद जनरल कासिम सुलेमानी शामिल थे।

इसके साथ ही, ग़ज़्ज़ा के एक लाख से ज़्यादा शहीदों, ईरान के हाल ही में मारे गए 900 शहीदों, जिनमें परमाणु वैज्ञानिक भी शामिल हैं, और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में इज़राइली आक्रमण के परिणामस्वरूप शहीद हुए लोगों को भी श्रद्धांजलि दी गई।

कार्यक्रम को श्री एम.सी. अब्बास, मौलाना सय्यद आज़म अली जाफ़री, मौलाना मीर क़ायमम अब्बास, मौलाना सय्यद अली बाक़िर, मौलाना सय्यद रज़ा अब्बास, मिर्ज़ा आबिद अली और मिर्ज़ा अफ़सर अली सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि हसन नसरूल्लाह सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आंदोलन और एक विचार का नाम हैं, जिन्हें ख़त्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जो राष्ट्र अपने शहीदों के बलिदानों को याद नहीं रखते, वे प्रगति नहीं कर सकते।

वक्ताओं ने आगे कहा कि फ़िलिस्तीनी लोग भूख और प्यास की भीषणता के बावजूद, अत्याचारियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं और यह प्रतिरोध इस बात का प्रमाण है कि न्याय और सम्मान हमेशा अत्याचार और उत्पीड़न से ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, जिन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और यह दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि प्रतिरोध के रास्ते पर चलने वाले अकेले नहीं रहेंगे।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha